As collected and emailed to me by संदीप ''मसहूर'' Pune
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वो सब हरूफ जो बेशक्ल थे, सलामत हैं
जो लफ्ज़ चेहरानुमा था, मिटा दिया है उसे
- अहमद फ़राज़
Those all faceless alphabets are allowed to exist, But the word that was having own identity, was demolished
जरा संभाल के लफ्ज़ों को जोडिये साहब
कि इस मकान में इक उम्र तक रहेगा कोई
- बाकर मेहदी
Very carefully put together the words, Because in this house one (-meaning) will stay for whole life
मै जैसे तैसे टूटे-फूटे लफ्ज़ गढ के आ गया
कि अब ये तेरा काम है बिगाड दे - संवार दे
- इफ्तखार आरिफ़
सोमवार, 22 सितंबर 2008
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