समय निकालें भारतीय भाषाओं के लिये
कृष्णने गोवर्धन उठाया तो गोप-गोपियोंने लाठीका टेक दिया - रामने सेतू बाँधा तो गिलहरीने हाथ बँटाया। आप भी हिंदी व भारतीय भाषाओंके लिये योगदान दें। इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड लेआउट सीखें। यह कक्षा पहली के पाठानुरूप (अआइई, कखगघचछजझ...) चलता है और उतनाही सरल है। फिर आप आठवीं फेल, अंग्रेजी न जाननेवाले बच्चोंको भी पाँच मिनटमें संगणक-टंकन सिखाकर उनकी दुआएँ बटोरिये।

सोमवार, 5 नवंबर 2012

रसखान -भावमाधुरी का अनन्य उदाहरण January 7, 2012

January 7, 2012
भाषा के लालित्य, माधुरी और भावजागृति का अनन्य उदाहरण -- रसखान --
सेस, महेस, दिनेस, गणेस, सुरेसहुँ जाहि निरंतर गावै
जाहि अनादि, अनन्त, अखंड, अछेद, अभेद, सुबेद बतावै
नारदसे सुक-व्यास रटै, पचि हारै, पुनि तऊ पार न पावै
ताही अहीर की छोहरिया छछियाभरी छाछ पै नाच नचावै
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translated in Eng it says -- He, whose praises are sung continuously by Shesh(nag), mahesh (shankar), ganesh (ganapati), dinesh (the sun) suresh (indra), He, whom the Vedas (सुबेद) proclaim as अनादि, अनन्त, अखंड, अछेद, अभेद: He, whom Narad, Shukdev and Vyas like sages kept on chasing (phylosophically) but could never reach, to Him, these girls of the Aheer families ( Gopi of Gokul) are able to make dance for the award of a mataki-full of curd.