समय निकालें भारतीय भाषाओं के लिये
कृष्णने गोवर्धन उठाया तो गोप-गोपियोंने लाठीका टेक दिया - रामने सेतू बाँधा तो गिलहरीने हाथ बँटाया। आप भी हिंदी व भारतीय भाषाओंके लिये योगदान दें। इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड लेआउट सीखें। यह कक्षा पहली के पाठानुरूप (अआइई, कखगघचछजझ...) चलता है और उतनाही सरल है। फिर आप आठवीं फेल, अंग्रेजी न जाननेवाले बच्चोंको भी पाँच मिनटमें संगणक-टंकन सिखाकर उनकी दुआएँ बटोरिये।

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

All from BENAZEER

दिल में एक जाने-तमन्नाने जगाह पाई है।
आज गुलशन मे नही घर मे बहार आई हैं।।

आ गया मेरे तसव्वुर में कोई पर्दानशीं
आज हर चीज नजर आने लगी मुझको हसीं
क्या कहूँ मै बडी दिलकश मेरी तनहाई है।।

बहकी- बहकी नशा-ए-हुस्न में खोई खोई
जैसे खैय्याम की रंगीन रुबाई कोई
दिलके शीशे में परी बनके उतर आई है।।

हुस्न के सामने इजहारे-वफा है मुश्किल
काश छिपकर ही वो सुन ले मेरा अफसाना-ए-दिल
जिसने ये प्यार की मंजिल मुझे दिखलाई है।।
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हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम
ऐसी बदनसबी हुई मिल सके न हम।।
उनका करम भी आज सितम होके रह गये
एक नगमा था जो आज कही खोके रह गया
हल्की सी एक खुशी है तो हलका सा एक गम।।
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मिल जा मिल जा मिल जा रे जाने जाना
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मुबारक है वो दिल जिसको किसीसे प्यार हो जाये
नजरवालोंसे छिपकर यार का दीदार हो जाये।
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खरा तो एकचि धर्म -- साने गुरुजी

खरा तो एकचि धर्म -- अनुवादाचे काम चालू आहे.
खरा तो एकचि धर्म -------------- एकही धर्म है सच्चा
जगाला प्रेम अर्पावे -------------- सभी को प्यार बाँटे हम -- (जगत् को प्यार दे पायें)To choose 1 of 2

जगी जे दीन अति पतित-------------- यहाँ जो दीन हैं - पतित
जगी जे दीन पद - दलित-------------- यहाँ जो दीन - पद - दलित
तया जाऊन उठवावे-------------- उन्हें जाकर उठाये हम ।
जगाला प्रेम अर्पावे-------------- सभी को प्यार बाँटे हम ॥

जयांना कोणी ना जगती-------------- जिन्हें कोई नही अपने
सदा जे अंतरी रडती-------------- दु:खी जो अपने अंतर में
तया जाऊन सुखवावे-------------- सुखी उनको कराये हम ।
जगाला प्रेम अर्पावे -------------- सभी को प्यार बाँटे हम॥

समस्ता धीर तो द्यावा-------------- कहीं धीरज बँधा पायें
सुखाचा शब्द बोलावा-------------- कभी हँसकर करें बातें
अनाथा साहय ते द्यावे-------------- अनाथोंको खुशी दें हम।
जगाला प्रेम अर्पावे -------------- सभी को प्यार बाँटे हम॥

सदा जे आर्त अति विकल------------ सदासे आर्त जो विकल
जयांना गांजती सकल-------------- गिराते हैं जिन्हे सबल
तया जाऊन हसवावे-------------- उन्हे चलकर हंसाये हम ।
जगाला प्रेम अर्पावे-------------- सभी को प्यार बाँटे हम ॥

कुणा ना व्यर्थ शिणवावे ---------- किसी को व्यर्थ ना छेडें
कुणा ना व्यर्थ हिणवावे---------- किसी को व्यर्थ ना कोसें
समस्ता बंधु मानावे ---------- हरेक को बंधु जानें हम।
जगाला प्रेम अर्पावे-------------- सभी को प्यार बाँटे हम ॥

प्रभूची लेकरे सारी ---------- प्रभू के ये सभी बच्चे
तयाला सर्वही प्यारी ---------- सभी उसके लिये प्यारे
कुणा ना तुच्छ लेखावे ---------- तुच्छता ना दिखायें हम।
जगाला प्रेम अर्पावे-------------- सभी को प्यार बाँटे हम ॥

जिथे अंधार औदास्य---------- अंधेरा हो उदासी का
जिथे नैराश्य आलस्य ---------- निराशा या कि आलस का
प्रकाशा तेथ नव न्यावे ---------- उजाला ले के जायें हम।
जगाला प्रेम अर्पावे-------------- सभी को प्यार बाँटे हम ॥

असे जे आपणांपाशी ---------- जगत् से जो भी है पाया
असे जे वित्त वा विद्या ---------- कमाया है जो धन विद्या
सदा ते देतची जावे ---------- उन्हे सबपर लुटायें हम।
जगाला प्रेम अर्पावे -------------- सभी को प्यार बाँटे हम
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मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

The blog एक शाम मेरे नाम by manish kumar

एक शाम मेरे नाम A wonderful blog by manishkmr1111@yahoo.com
This blog allows you to see video or listen to an audio of poems, poets, film songs, full of great emotions.
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