दिल में एक जाने-तमन्नाने जगाह पाई है।
आज गुलशन मे नही घर मे बहार आई हैं।।
आ गया मेरे तसव्वुर में कोई पर्दानशीं
आज हर चीज नजर आने लगी मुझको हसीं
क्या कहूँ मै बडी दिलकश मेरी तनहाई है।।
बहकी- बहकी नशा-ए-हुस्न में खोई खोई
जैसे खैय्याम की रंगीन रुबाई कोई
दिलके शीशे में परी बनके उतर आई है।।
हुस्न के सामने इजहारे-वफा है मुश्किल
काश छिपकर ही वो सुन ले मेरा अफसाना-ए-दिल
जिसने ये प्यार की मंजिल मुझे दिखलाई है।।
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हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम
ऐसी बदनसबी हुई मिल सके न हम।।
उनका करम भी आज सितम होके रह गये
एक नगमा था जो आज कही खोके रह गया
हल्की सी एक खुशी है तो हलका सा एक गम।।
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मिल जा मिल जा मिल जा रे जाने जाना
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मुबारक है वो दिल जिसको किसीसे प्यार हो जाये
नजरवालोंसे छिपकर यार का दीदार हो जाये।
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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009
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