समय निकालें भारतीय भाषाओं के लिये
कृष्णने गोवर्धन उठाया तो गोप-गोपियोंने लाठीका टेक दिया - रामने सेतू बाँधा तो गिलहरीने हाथ बँटाया। आप भी हिंदी व भारतीय भाषाओंके लिये योगदान दें। इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड लेआउट सीखें। यह कक्षा पहली के पाठानुरूप (अआइई, कखगघचछजझ...) चलता है और उतनाही सरल है। फिर आप आठवीं फेल, अंग्रेजी न जाननेवाले बच्चोंको भी पाँच मिनटमें संगणक-टंकन सिखाकर उनकी दुआएँ बटोरिये।

गुरुवार, 19 अगस्त 2010

भारतकी आजादी

A poem by shri gopal prasd Vyas
वह खून कहो किस मतलबका जिसमें उबालका नाम नही
वह खून कहो किस मतलबका आ सके देशके काम नही
वह खून कहो किस मतलबका जिसमें जीवन न रवानी है
जो परवश होकर बहता हो वह खून नही है पानी है।
उस दिन लोगोंने सही सही खूँकी कीमत पहचानी थी
जिस दिन सुभाषने बर्मा में माँगी उनसे कुर्बानी थी
बोले स्वतंत्रताकी खातिर बलिदान तुम्हे करना होगा
तुम बहुत जी चुके हो जगमें लेकिन आगे मरना होगा।
आजादीके चरणोंमें जो जयमाल चढाई जायेगी
वह सुनो तुम्हारे शीशोंके फूलोंसे गूँथी जायेगी।
आजादीका संग्राम नही पैसेपर खेला जाता है
यह शीश कटानेका सौदा नंगे सर झेला जाता है।
आजादीका इतिहास कहीं काली स्याही लिख पाती है
इसके लिखनेके लिये खूनकी नदी बहाई जाती है।
आजानुबाहू ऊँची करके वे बोले रक्त मुझे देना
इसके बदलेमें भारतकी आजादी तुम मुझसे लेना।