समय निकालें भारतीय भाषाओं के लिये
कृष्णने गोवर्धन उठाया तो गोप-गोपियोंने लाठीका टेक दिया - रामने सेतू बाँधा तो गिलहरीने हाथ बँटाया। आप भी हिंदी व भारतीय भाषाओंके लिये योगदान दें। इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड लेआउट सीखें। यह कक्षा पहली के पाठानुरूप (अआइई, कखगघचछजझ...) चलता है और उतनाही सरल है। फिर आप आठवीं फेल, अंग्रेजी न जाननेवाले बच्चोंको भी पाँच मिनटमें संगणक-टंकन सिखाकर उनकी दुआएँ बटोरिये।

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

ये डाली गुणवान व अन्य काफी कुछ

0) दि. 8.10.10
ये डाली गुणवान
ये डाली भगवान
-- सुंदरलाल बहुगुणाजी के एक घनिष्ट मित्रकी लम्बी कवितासे (मुझे उनका नाम व कविता दोनों ही याद नही --अफसोस) धरतीको यही डाली और पत्तियाँ बचाएंगी।


-1) दि. 6.10.10
some time back a group from Kolhappur preparing for UPSC/ MPSC exams found my book Lokshahi (I translated from original authors) very useful. Today one more feedback. And One more for my another book. So I am keeping here my list. प्रशासनाकडे वळून बघतांना, समाज मनातील बिंब, इथे विचारांना वाव आहे, है कोई वकील, जनता की राय, मेरी प्रांतसाहबी, राजकीय चिन्तन, my first blog आणि नवीन लेख -- All on admn. and society.
-2) दि. 5.10.10
Once subhash chandra bose was asked -- what is the difference between a station master and a school master. His reply -- " A station mster minds the trains, The school master trains the minds."
-3) दि. 5.10.10
योजना यादव साठी अंत्याक्षरीवर लिहिली माझी प्रिय कविता --
इंद्र जिमि जृम्भ पर, वाडव सुअंभ पर, रावण सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन वारिवाह पर, शंभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाह पर राम द्विजराज है।
दावा द्रुमदंड पर, चीता मृगझुंड पर, भूषण वितुण्ड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर, त्यौं मलेच्छ बंस पर, सेर सिवराज है।।
वाडव - वडवानल, सुअंभ - समुद्र, पौन - पवन, वारिवाह - ढग, रतिनाह -कामदेव,
दावा -दावानल, द्रुमदंड - वृक्ष, वितुण्ड - हत्ती, मृगराज -सिंह, तेज -सूर्य, तम अंस -अंधारलेले कोपरे
-4) दि. 4.10.10
“We must, at present, do our best to form a class, who may be
interpreters between us and the millions whom we govern; a class of
persons, Indian in blood and colour, but English in taste, in opinions,
in morals, and in intellect.” – Said Lord Macaulay 175 years ago.
-5) दि. 4.10.10
My friends SP Goel and Mahendra from PCRA, Delhi have redrawn the Hindi typing chart as here with a caption " हिन्दीके 80% अक्षर केवल पाँच कुञ्जियों में".

-6) दि. 4.10.10
“We must, at present, do our best to form a class, who may be
interpreters between us and the millions whom we govern; a class of
persons, Indian in blood and colour, but English in taste, in opinions,
in morals, and in intellect.” – Said Lord Macaulay 175 years ago. Macaulay’s Legacy in India still continues because we are enamoured by a technology -- even if alternative technology is available.


-7) दि. 4.10.10
कृष्णने गोवर्धन उठाया तो
गोप-गोपियोंने लाठीका टेक दिया - रामने सेतू बाँधा तो गिलहरीने हाथ
बँटाया। आप भी हिंदी व भारतीय भाषाओंके लिये योगदान दें। इन्स्क्रिप्ट
कीबोर्ड लेआउट सीखें। यह कक्षा पहली के पाठानुरूप (अआइई, कखगघचछजझ...)
चलता है और उतनाही सरल है। फिर आप आठवीं फेल, अंग्रेजी न जाननेवाले
...बच्चोंको भी पाँच मिनटमें संगणक-टंकन सिखाकर उनकी दुआएँ बटोरिये।
पाँच मिनटोंमें संगणकपर हिंदी सीखने के लिये पढें --
http://leenamehendale.blogspot.com/2010/08/blog-post_03.html
-7) दि. 4.10.10
सर्व ओझी निवारणासाठी - क्रिकेट (some day I tried a satire)
वाचकहो, सर्वत्र असते तसेच याही लेखातील सर्व घटना, स्थानांची व
व्यक्तींची नांवे संपूर्णपणे काल्पनिक असून त्यात कोणताही तथ्यांश नाही.
जर कोणत्याही व्यक्ती किंवा स्थानाचे नांव किंवा घटनेचा तपशील एखाद्या
सत्य घटनेबरोबर मिळता-जुळता असेल तर तो निव्वळ योगायोग मानावा.
...तर रसिक वाचकहो, आटपाट नगर होते- तिचे नांव मुंबई.
-7) दि. 4.10.10
My friend Harnot of Himachal Pradesh -- very talented writer of rural life and politics in his short stories. I translated 2 in marathi -- Darosh and Kagbhasha We need to translate more from his 5 collections.
Any takers?
-7) दि. 4.10.10
uploaded one article स्वाइन फ्लू और सरहद (देशबन्धु ऑन लाइन न्यूज पोर्टल Thursday , Sep 17,2009. Link is
http://leenamehendale.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
-7) दि. 4.10.10
Jamie Lee Curtis -- By Aditya -- crayon pencil 1991
-7) दि. 4.10.10
Uploaded 2 new posts on my blog ye ye pawsa मी प्रयोग शिकले and
पेड़ से कहो - "खुश रहो"
http://ye-ye-pawsa.blogspot.com/
http://leenamehendale.blogspot.com/2008/05/blog-post_29.html
-7) दि. 20.9.10
By Aditya -- 1991 (???) in crayon pencil colours.

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

योजना यादव सोबत अंत्याक्षरीमधे गोळा झालेल्या कविता

योजनासाठी अंत्याक्षरीवर आज (5-10-10) लिहिली माझी प्रिय कविता --
इंद्र जिमि जृम्भ पर, वाडव सुअंभ पर, रावण सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन वारिवाह पर, शंभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाह पर राम द्विजराज है।
दावा द्रुमदंड पर, चीता मृगझुंड पर, भूषण वितुण्ड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर, त्यौं मलेच्छ बंस पर, सेर सिवराज है।।
वाडव - वडवानल, सुअंभ - समुद्र, पौन - पवन, वारिवाह - ढग, रतिनाह -कामदेव, दावा -दावानल, द्रुमदंड - वृक्ष, वितुण्ड - हत्ती, मृगराज -सिंह, तेज -सूर्य, तम अंस -अंधारलेले कोपरे

सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

लौटी महारनी की दंडी
ब्रिटिश महारानी की दंडी थामे
दागे सलामी इंडिया की बंदूकें
चमक धमक राष्ट्र खेल मंडल आत है
छिपाए भिखमंगे उजाड़ी बस्तियां
भूखे बच्चे, टूटी सडकें, चौपट स्कूल
फिरंगी युनिवेर्सिटी की नौटंकी बुलात है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

हौंग कॉन्ग और फ्रांस से फटाफट
इम्पोर्ट किये खुशबूदार सनडांस
होश किसे आधी जनता मैदान जात है
हर चौराहे पे लगा घंटों ट्राफ्फिक जाम
ऊपर से फ्लईओवर . नीचे से फ्लईओवर
दक्कन कोरया से आई मेट्रो सरासर भगात है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

बनाया सवाल इंडिया तेरी नाक का
किसकी नाक, किसका सवाल
फ़िक्र किसे शिक्षा, सेहत, खुशहाली की ,
१८२ मुल्कों में भारत १३४ पर गिनात है
हुआ बवाल मची हुडदंग संसद में
राजपाट करने वालों में खूब भई बंदरबाट है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

फूंके ७०० करोड़ दलितों के
टपकी सरकारी तिजोरी टपके स्टेडियम
लुढके ओवेरब्रिज मजदूर मरे जात है
हल्ला बोला खेलों का
हुए कॉरपोरेट , पूंजीपति मालामाल है
जाने काहे को हमरे खिलाड़ी पसीना बहात है
ग़ुलामी डायन खाय जात है
मस्ती बारह दिन की बारह दिन का तमाशा
एक लाख करोड़ रूपए का टिकट कटाया
कच्छ से आया, कोहिमा से आया
पैसा आया लक्षद्वीप और लदाख से
अस्सी फ़ीसदी करैं गुजर २० रुपाली में
फिर भी सब कुछ दिल्ली में लुटाये जात है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

मचा शोर साफ़ सफाई का
निकले सांप, चर्मरय पलंग , डरे खिलाडी
सुन कर फटकार फेनल हूपर की
प्रधान मंत्री केबिनट की बैठक बुलात है
चप्पे- चप्पे पे, चाक - चौबंद फौजी - सिपाही
ताके इधर -उधर, टट्टी- पेशाब को छत्पतात्त है
ग़ुलामी डायन खाय जात है
करे सांठ गाँठ राजनेता, मीडिया और पूँजीपती
टाला मसला भ्रष्टाचार का, टाल दी अयोध्या भी
टाल नहीं सके आतंक के साए को ,
अरबों डौलर की विदेशी तकनीक मंगात है
हर हिन्दुस्तानी बायोमेट्रिक और लेज़र के घेरे में है
नीचे राडार, ऊपर मिग और मिज़ाइल उदात है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

एनजीओ खुश, खुश खिलाड़ी, खुश कलमाड़ी ,
खान - पान का ठेका अम्रिकान मल्टीनेशनल को
पिज्जा पर सजाए गोलगप्पे , जी भर शम्पैन पिलाट है
छिढ़ बहस उद्घाटन की
करे लन्दन का प्रिन्स, या भारत का राष्ट्रपति ?
झुका इंडिया महारानी का सन्देश प्रिन्स लेके आत है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

आखिर बच गयी इज्ज़त हमरी
कहें मनमोहंवा देख नौ फ़ीसदी का खेल है
सेन- सेक्स २२,००० के छलांग लगे जात है
काहे गिनत हो स्वर्ण पदक भारत के
पट तो गया शेर बाज़ार सोने चांदी से
सुपरपावर बनाने का ख्वाब इंडिया दिखात है
ग़ुलामी डायन खाय जात है

( राष्ट्र मंडल खेलों के उद्घाटन के एक दिन पहले , गांधी जयंती पे यह सवाल पूछते की अगर गाँधी जी जिंदा होते तो क्या करते )

डॉ अनिल सदगोपाल
फ़ोन- ०९४२५६००६३७


I carry a torch in one hand
And a bucket of water in the other:
With these things I am going to set fire to Heaven
And put out the flames of Hell
So that voyagers to God can rip the veils
And see the real goal........................................By Rabia (Rabi'a Al-'Adawiyya)

शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

A PSALM OF LIFE

A PSALM OF LIFE
-- Henry Wadsworth Longfellow
The poem was first published in 1838.

WHAT THE HEART OF THE YOUNG MAN
SAID TO THE PSALMIST

TELL me not, in mournful numbers,
Life is but an empty dream ! —
For the soul is dead that slumbers,
And things are not what they seem.

Life is real ! Life is earnest!
And the grave is not its goal ;
Dust thou art, to dust returnest,
Was not spoken of the soul.

Not enjoyment, and not sorrow,
Is our destined end or way ;
But to act, that each to-morrow
Find us farther than to-day.

Art is long, and Time is fleeting,
And our hearts, though stout and brave,
Still, like muffled drums, are beating
Funeral marches to the grave.

In the world's broad field of battle,
In the bivouac of Life,
Be not like dumb, driven cattle !
Be a hero in the strife !

Trust no Future, howe'er pleasant !
Let the dead Past bury its dead !
Act,— act in the living Present !
Heart within, and God o'erhead !

Lives of great men all remind us
We can make our lives sublime,
And, departing, leave behind us
Footprints on the sands of time ;

Footprints, that perhaps another,
Sailing o'er life's solemn main,
A forlorn and shipwrecked brother,
Seeing, shall take heart again.

Let us, then, be up and doing,
With a heart for any fate ;
Still achieving, still pursuing,
Learn to labor and to wait.