योजनासाठी अंत्याक्षरीवर आज (5-10-10) लिहिली माझी प्रिय कविता --
इंद्र जिमि जृम्भ पर, वाडव सुअंभ पर, रावण सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन वारिवाह पर, शंभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाह पर राम द्विजराज है।
दावा द्रुमदंड पर, चीता मृगझुंड पर, भूषण वितुण्ड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर, त्यौं मलेच्छ बंस पर, सेर सिवराज है।।
वाडव - वडवानल, सुअंभ - समुद्र, पौन - पवन, वारिवाह - ढग, रतिनाह -कामदेव, दावा -दावानल, द्रुमदंड - वृक्ष, वितुण्ड - हत्ती, मृगराज -सिंह, तेज -सूर्य, तम अंस -अंधारलेले कोपरे
मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010
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1 टिप्पणी:
जय भवानी! जय शिवाजी !!
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