निर्माणों के पावन युग मेंनिर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें ! स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !! माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्विकार नही है जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसन्धान न भूलें !! शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नही है शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतीक आधार नहीं है कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूले !! आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नही है सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नही है भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !! |
सोमवार, 22 अक्टूबर 2012
हम चरित्र निर्माण न भूलें
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